मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ. मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ. नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच. इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है. आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशाषित रहो. उठो. हे ...