सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है…इसके उलट , सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है. यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है. हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है. अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं . और चूँकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं ...
कभी कभी समझौता बुरा नहीं होता; कभी कभी पूर्ण सत्ता से समस्याएं पैदा होती है। एक पुरानी कहावत है कि “सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण सत्ता पूर्णतः भ्रष्ट करती है।” हम सभी को हर चीज की एक कीमत चुकानी होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है; उसके उपदेश देने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है परंतु मेरे पास देने ...