· अगर आप सौ लोगों को नहीं खिला सकते तो एक को ही खिलाइए. · अकेलापन और किसी के द्वारा न चाहने की भावना का होना भयानक गरीबी के सामान है। · शांति की शुरुआत मुस्कराहट से होती है। · कुछ लोग आपकी ज़िन्दगी में आशीर्वाद की तरह कुछ लोग एक सबक की तरह। · जिस व्यक्ति को कोई चाहने ...

आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए अगर आप आम के फल को समय से पहले ही तोड़ कर खा लेंगे, तो वह खट्टा ही लगेगा। लेकिन वहीँ आप उसे थोड़ा समय देते हैं तो वह खुद-ब-खुद पककर नीचे गिर जाएगा और आपको अमृत के समान लगेगा उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये। आपकी ...

दिन में एक बार अपने आप से बात  करो वरना तुम दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण आदमी से बात नहीं कर पाओगे उठो , जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को न पा लो सारी शक्ति तुम्हारे अंदर ही है | तुम हर चीज़ कर सकते हो दिल और दिमाग के बिच में अपने दिल को सुनो | लोग मुझपर हस्ते हैं क्योकि में अलग हु . में लोगो पर हस्त हु क्यों की वो सब एक जैसे हैं | तुम भगवान् में तब तक विश्वास नहीं कर सकते जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करोगे | डरो मत | अगर तुम डरते नहीं हो तो बहुत काम कर सकते हो . अगर तुम डरते हो तो तुम कुछ भी नहीं हो हमेशा कहो ” “डर कुछ नहीं है ” और ये सबको बताओ | एक विचार लो और उस विचार को अपनी ज़िंदगी बना लो | उसी विचार के बारे में सोचो , उसी के सपने देखो उसी को जियो | अपने में बहुत सी कमियों के बाद भी हम अपने से प्रेम करते हैं तो दूसरों में ज़रा सी कमी से हम उनसे कैसे घ्रणा कर सकते हैं | खड़े हो जाओ , और सारी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले लो . अपने को कमज़ोर समझना बंद कर दो | केवल वही जीते रहेंगे जो औरो के लिए जीते हैं . अगर एक दिन भी ऐसा बिता की तुम्हे एक भी परेशानी नहीं आई तो समझ लो की तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो दर्द और ख़ुशी दोनों ही अच्छे टीचर हैं| दुनिया एक जिम्नास्टिक हैं जहाँ हम सभी मजबूत बनते हैं | दुनिया की सारी शक्ति हमरे ही अंदर है हम ही है जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और कहते हैं की बहुत अँधेरा है. वेदांत कहता है कोई भी पाप नहीं है बस गलतियां हैं | और सबसे बढ़ी गलती है अपने से कहना की तुम कमज़ोर हो | भगवान् भी उनकी सहायता करते हैं जो अपनी सहायता ख़ुद करते हैं. सत्य को १००० तरीके से कहा जा सकता हैं और सब सत्य होता है | किसी की भी निंदा मत करो | अगर तुम सहायता कर सकते हो तो करो वरना अपने हाथो को अंदर कर लो और उन्हें अपने रस्ते जाने दो हम भगवान् को कहँ देख पाएंगे अगर हम उन्हें अपने दिल में या सभी प्राणियों में नहीं देख सकते | मनुष्य की सेवा करो , भगवान् की सेवा करो | कुछ ऊर्जावान मनुष्य एक साल में इतना कर देते हैं जितना भीड़ १००० साल में भी नहीं कर सकती | वो लोग महान है जिनका जीवन दूसरों की सेवा में लग गया | जिस वयक्ति के पास सीखने को कुछ नहीं है वो मौत से पहले ही मर गया है | खुद को कमज़ोर समझना ही सबसे बढ़ा पाप है | वह वयक्ति अमर हो गया है जो किसी भी बात से बिचलित नहीं होता | बाहरी स्वाभाव अंदरूनी स्वाभाव का ही दूसरा रूप है. जो हैं दूसरों की मदद में लग जाये वो महँ है वरना कूड़े का ढेर है| ...