श्री श्री रविशंकर के अनमोल विचार

  • अपने हुनर को पहचानें और सम्मान दें।
  • कामयाबी के पीछे बैचेन न हो, अगर लक्ष्य साफ है तो थोड़ा सब्र रखना चाहिए, किस्मत तुम्हारा साथ देगी…।
  • प्यार में गिरो नही, प्यार में उठो।

मानव विकास के दो चरण हैं कुछ होने से कुछ ना होना और कुछ ना होने से सबकुछ होना। यह ज्ञान दुनिया भर में योगदान और देखभाल ला सकता है।

  • आध्यात्मिक ज्ञान युक्त क्षमता, नवीन क्षमता और संचार को बेहतर बनाता है।
  • हर एक चीज के पीछे तुम्हारा अहंकार है मैं, मैं, मैं, मैं लेकिन सेवा में कोई मैं नहीं है क्योंकि यह किसी और के लिए करनी होती है।
  • यदि तुम लोगों का भला करते हो तुम अपनी प्रकृति की वजह से करते हो।

नए विचारों के लिए दिमाग को खोले, न की सफलता के बारे में चिंतित हो, 100 प्रतिशत प्रयास करना और ध्यान लगाना उद्यमियों के लिए सूत्र है।।

  • दूसरों को आकर्षित में हम ज्यादा ऊर्जा खत्म कर देते हैं और आकर्षण की इच्छा में-ठीक इसके विपरीत होता है।
  • ज्ञान एक बोझ है अगर यह जीवन में खुशी नहीं लाता है।
  • ज्ञान एक बोझ है, अगर यह आपको अहसास दिलाता है कि आप विशेष हैं।
  • तुम दिव्य हो तुम मेरा हिस्सा हो मैं तुम्हारा हिस्सा हूँ।

इच्छा हमेशा मैं पर लटकती रहती है जब स्वयं मैं लुप्त हो रहा हो इच्छा भी समाप्त हो जाती है ओझल हो जाती है।

  • दूसरों की सुनो फिर भी मत सुनो अगर तुम्हारा दिमाग उनकी समस्याओं में उलझ जाएगा ना सिर्फ वो दुखी होंगे बल्कि तुम भी दुखी हो जाओगे।

आप अपने कार्य के पीछे की मंशा को देखो अक्सर तुम उस चीज के लिए नहीं जाते जो तुम्हे सच में चाहिए।

  • तुम्हारा मस्तिष्क भागने की सोच रहा है और उस रास्ते पर जाने का प्रयास नहीं कर रहा है। जहाँ गुरु ले जाना चाहते हैं तुम्हे उठाना चाहते हैं।
  • किसी को भी श्रद्धा यह समझाने में है कि आप हमेशा वो पा जाते हैं जिसकी आपको जरुरत होती है।
  • प्रेम कोई भावना नहीं है यह आपका खुद का अस्तित्व है।
  • जीवन ऐसा कुछ नहीं है जिसके प्रति बहुत गंभीर रहा जाए। जीवन तुम्हारे हाथों में खेलने के लिए एक गेंद है गेंद को पकड़े मत रहो।
  • चाहत या इच्छा तब पैदा होती है जब आप खुश नहीं होते क्या आपने देखा है? जब आप बहुत खुश होते हैं तब संतोष होता है संतोष का धन अर्थ है कोई इच्छा ना होना।

भगवान के यहाँ से तुम्हे सर्वोच्च आशीर्वाद दिया गया है। इस ग्रह का सबसे अनमोल ज्ञान दिया गया है। तुम दिव्य हो तुम परमात्मा का हिस्सा हो विश्वास के साथ बढ़ो यह अहंकार नहीं है यह पुन: प्रेम है।

  • मैं स्वर्ग से कितना दूर? आप अपनी आँखें खोलो और देखो तुम स्वर्ग में हो।
  • आप खुद आज भगवान का दिया हुआ एक उपहार है इसीलिए इसे प्रेजेंट कहते हैं।

एक निर्धन व्यक्ति नया साल वर्ष में एक बार मनाता है। एक धनी व्यक्ति हर दिन लेकिन जो सबसे समृद्ध होता है वह हर क्षण मनाता है।

  • दूसरों को आकर्षित करने में काफी उर्जा बर्वाद होती है। और दूसरों को आकर्षित करने की चाहत में-मैं बताता हूँ विपरीत होता है।