स्वामी विवेकानंद के 21 अनमोल सुविचार – Swami Vivekanand’s 21 Inspirational Quotes in Hindi

उठो , जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को न पा लो

  • दिन में एक बार अपने आप से बात  करो वरना तुम दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण आदमी से बात नहीं कर पाओगे
  • उठो , जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को न पा लो
  • सारी शक्ति तुम्हारे अंदर ही है | तुम हर चीज़ कर सकते हो
  • दिल और दिमाग के बिच में अपने दिल को सुनो |
  • लोग मुझपर हस्ते हैं क्योकि में अलग हु . में लोगो पर हस्त हु क्यों की वो सब एक जैसे हैं |
  • तुम भगवान् में तब तक विश्वास नहीं कर सकते जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करोगे |
  • डरो मत | अगर तुम डरते नहीं हो तो बहुत काम कर सकते हो . अगर तुम डरते हो तो तुम कुछ भी नहीं हो हमेशा कहो ” “डर कुछ नहीं है ” और ये सबको बताओ |
  • एक विचार लो और उस विचार को अपनी ज़िंदगी बना लो | उसी विचार के बारे में सोचो , उसी के सपने देखो उसी को जियो |
  • अपने में बहुत सी कमियों के बाद भी हम अपने से प्रेम करते हैं तो दूसरों में ज़रा सी कमी से हम उनसे कैसे घ्रणा कर सकते हैं |
  • खड़े हो जाओ , और सारी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले लो . अपने को कमज़ोर समझना बंद कर दो |
  • केवल वही जीते रहेंगे जो औरो के लिए जीते हैं .
  • अगर एक दिन भी ऐसा बिता की तुम्हे एक भी परेशानी नहीं आई तो समझ लो की तुम गलत रास्ते पर जा रहे हो
  • दर्द और ख़ुशी दोनों ही अच्छे टीचर हैं|
  • दुनिया एक जिम्नास्टिक हैं जहाँ हम सभी मजबूत बनते हैं |
  • दुनिया की सारी शक्ति हमरे ही अंदर है हम ही है जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और कहते हैं की बहुत अँधेरा है.
  • वेदांत कहता है कोई भी पाप नहीं है बस गलतियां हैं | और सबसे बढ़ी गलती है अपने से कहना की तुम कमज़ोर हो |
  • भगवान् भी उनकी सहायता करते हैं जो अपनी सहायता ख़ुद करते हैं.
  • सत्य को १००० तरीके से कहा जा सकता हैं और सब सत्य होता है |
  • किसी की भी निंदा मत करो | अगर तुम सहायता कर सकते हो तो करो वरना अपने हाथो को अंदर कर लो और उन्हें अपने रस्ते जाने दो
  • हम भगवान् को कहँ देख पाएंगे अगर हम उन्हें अपने दिल में या सभी प्राणियों में नहीं देख सकते |

मनुष्य की सेवा करो , भगवान् की सेवा करो |

  • कुछ ऊर्जावान मनुष्य एक साल में इतना कर देते हैं जितना भीड़ १००० साल में भी नहीं कर सकती |
  • वो लोग महान है जिनका जीवन दूसरों की सेवा में लग गया |
  • जिस वयक्ति के पास सीखने को कुछ नहीं है वो मौत से पहले ही मर गया है |
  • खुद को कमज़ोर समझना ही सबसे बढ़ा पाप है |
  • वह वयक्ति अमर हो गया है जो किसी भी बात से बिचलित नहीं होता |
  • बाहरी स्वाभाव अंदरूनी स्वाभाव का ही दूसरा रूप है.
  • जो हैं दूसरों की मदद में लग जाये वो महँ है वरना कूड़े का ढेर है|